The spiritual figure Sai Baba of Shirdi is revered by millions of people across India and beyond. As a tribute to this great saint, devotees of Sai Baba often sing the ‘Bhupali Aarti’ to express their love and reverence. Bhupali Aarti is one of the most popular devotional songs in praise of Sai Baba. It is sung mostly during morning prayers and is one of the most loved songs among devotees.
Sai Baba Bhupali Aarti
- Utha Utha Sakaljan
- Ghanshyam sundara
- Om Jay Jagadish Hare
Utha Utha Sakaljan (उठा उठा सकळीजन)
उठा उठा सकल जन, वाचे स्मरावा गजानन
गौरीहराचा नंदन गजवदन गणपती
ध्यानि आणुनी सुखमूर्ती, स्तवन करा एके चित्ती
तो देईल ज्ञानमूर्ती मोक्ष सुख सोज्वळ
जो निजभक्तांचा दाता, वंद्य सुरवरां समस्तां
त्यासी गाता भवभय चिंता, विघ्नवार्ता निवारी
तो हा सुखाचा सागर श्री गणराज मोरेश्वर
भावे विनवितो गिरीधर भक्त त्याचा होऊनी
Ghanyshyam Sundara (घनश्याम सुंदरा)
घनश्याम सुंदरा श्रीधरा अरुणोदय झाला
उठिं लौकरि वनमाळी उदयाचळीं मित्र आला
आनंदकंदा प्रभात झाली उठी सरली राती
काढिं धार क्षिरपात्र घेउनी धेनू हंबरती
लक्षिताति वांसुरें हरी धेनुस्तनपानाला
सायंकाळीं एकेमेळीं द्विजगण अवघे वृक्षीं
अरुणोदय होतांच उडाले चरावया पक्षी
प्रभातकाळीं उठुनि कापडी तीर्थपंथ लक्षी
करुनि सडासंमार्जन गोपी कुंभ घेउनि कुक्षीं
यमुनाजळासि जाति मुकुंदा दध्योदन भक्षीं
कोटी रवींहुनि तेज आगळें तुझिया वदनाला
होनाजी हा नित्य ध्यातसे हृदयिं नाम माला
Om Jay Jagdish Hare (ओम जय जगदीश हरे)
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे…॥
जो ध्यावे फल पावे,
दुःख बिनसे मन का,
स्वामी दुःख बिनसे मन का ।
सुख सम्पति घर आवे,
सुख सम्पति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे…॥
मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे…॥
तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे…॥
तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख फलकामी,
मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे…॥
तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय,
किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे…॥
दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी रक्षक तुम मेरे ।
अपने हाथ उठाओ,
अपने शरण लगाओ,
द्वार पड़ा तेरे॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे…॥
विषय-विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा,
स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
सन्तन की सेवा ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे…॥
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥